कोटा। बूंदी जिले के बरड़ में दो साल से चिकित्सा विभाग हर माह दो शिविर लगा रहा है। इन शिविरों में रोगी भी आ रहे हैं। कई टीबी रोगी पाए जा रहे हैं और उन्हें इलाज भी दिया जा रहा है। इतनी बड़ी संख्या में रोगी आने के बावजूद किसी को सिलिकोसिस की पहचान नहीं हो सकी है।

असल में प्रक्रिया के तहत इन शिविरों में आने वाले किसी रोगी को यदि सिलिकोसिस की आशंका हो तो संबंधित डॉक्टर उस रोगी को कोटा मेडिकल कॉलेज के न्यूमिकोनोसिस बोर्ड के पास रैफर करते हैं, लेकिन बीते साल में इन शिविरों से एक या दो रोगी ही रैफर किए गए हैं।

जबकि इस अवधि में करीब बीस शिविर लगाए जा चुके और 500 से ज्यादा रोगियों का उपचार भी किया जा चुका। यहां से रैफर नहीं किए जाने के चलते खुद रोगी ही कोटा आकर बोर्ड के समक्ष पेश हो रहे हैं और इनमें से कई को सिलिकोसिस के लक्षण भी पाए गए हैं। हालांकि इन्हें सिलिकोसिस का प्रमाणपत्र नहीं मिल पाया है। विस्तार से देखें

सौजन्य से: राजस्थान पत्रिका