रायगढ़ (निप्र)। दलारी गांव के गोल्डन रिफैक्ट्रिज और रेसनल इंडस्ट्रीज के श्रमिकों में सिलिकोसिस बीमारी पाए जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जिले के सभी क्वार्टाइज कारखानों के श्रमिकों के स्वास्थ्य परीक्षण का निर्णय लिया है। पूर्व में तमनार ब्लॉक स्थित दलारी की फैक्ट्री में काम करने वाले 6 मजदूरों की मौत सिलिकोसिस से हो चुकी है। जिसके बाद एक स्थानीय एनजीओ ने जब मामला उठाया तो प्रशासन अब जागा और आसपास के 30 श्रमिकों के बलगम को परीक्षण के लिए लैब भेजा है।

दरअसल जिस तरह बीते दिवस खनिज विभाग द्वारा रेसनल रिफैक्ट्रीज में छापा मारा। मिली जानकारी के अनुसार रेसनल इंडस्ट्रीज में क्वार्ट्राइज पत्थर के उपयोग की खबर है। सूत्र बताते हैं कि पत्थर की खरीदी बिक्री को लेकर विभाग किसी तरह की रायल्टी की रेसनल रिफैक्ट्रीज ने जानकारी नहीं दी थी। जबकि जिले के तमनार ब्लॉक के सराईपाली में यह फैक्ट्री अर्से से पत्थर घिसाई का काम कर रही है। ऐसे में जब खनिज विभाग की टीम ने छापामार कार्रवाई की तो चौंकाने वाला मामला सामने आया। इस दौरान विभाग को न तो क्वार्ट्राइज्ड पत्थर खरीदी को लेकर वैध दस्तावेज मिला और न ही संचालन को लेकर। सराईपाली सहित 8 गांव जिसमें गदगांव, हर्राडीह, बरपाली, भुईकुर्री, जमबडरी, गौरमुड़ी आदि के करीब 10 हजार लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। इन्हीं गांव के आसपास ही गोल्डन रिफैक्ट्रीज, रेसनल रिफैक्ट्रीज, विमला रिफैक्ट्रीज व एक अन्य स्थापित है।


क्वार्टाइज पत्थर को तराशने का काम कई देशों में प्रतिबंधित है। चूंकि इसकी घिसाई से जो कण निकलते हैं वह बेहद बारिक होते हैं। घिसाई से निकलने वाले सिलिका कण फेफड़ों में जमने से सिलिकोसिस बीमारी हो जाती है, जिसका कोई इलाज नहीं है। जिले में तेजी से पांव पसराते सिलिकोसिस के परीक्षण के लिए मशीन मंगाने की बात कही जा रही है। सिलिकोसिस नामक बीमारी आरंभ में टीबी की भांति प्रतीत होती है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग प्रभावित गांव में कैम्प लगाकर टीबी का इलाज किया जाता है। नियत कोर्स पूरा होने के बाद टीबी के लक्षण तो ठीक हो जाते हैं, लेकिन जिनमें सिलिकोसिस के लक्षण आ जाते हैं वे ठीक नहीं हो पाते हैं। ऐसे मरीजों के लिए स्वास्थ्य विभाग का अपना तर्क होता है। इसे लेकर स्वास्थ्य अधिकारी कहते हैं कि मरीज नियमित दवा का सेवन नहीं किया जिससे वह ठीक नहीं हो सके।

30 ग्रामीणों के बलगम को भेजा गया लैब

सराईपाली व क्वार्ट्राइज पत्थर घिसाई वाली फैक्ट्री के करीब सराईपाली गांव के ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण कर कुछ संभावित मरीजों का चयन किया गया है। इसमें मिली जानकारी के अनुसार 30 ग्रामीणों का बलगम एकत्रित कराया गया है। इसे सील पैक कर बिलासपुर लैब में भेजा गया है।

बढ़ सकती है मरीजों की संख्या

एक ही स्थान पर कुछ-कुछ दूरी पर इस क्षेत्र में 4 फैक्ट्री स्थापित है। गांव के आसपास के ग्रामीण ही पत्थर घिसाई का काम करते हैं। पूर्व में गोल्डन रिफैक्ट्रीज व हाल ही में रेशनल रिफैक्ट्रीज में कार्रवाई से स्पष्ट हो गया कि फैक्ट्री का संचालन न सिर्फ अवैध तरीके से हो रहा था बल्कि श्रमिक सुरक्षा मानकों को भी दरकिनार किया गया है। इससे जाहिर है कि इन फैक्ट्री के आसपास के ग्रामीणों व यहां कार्य करने वाले श्रमिकों के स्वास्थ्य का परीक्षण किया जाए तो सिलिकोसिस के मरीजों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

हमने कैम्प में स्वास्थ्य परीक्षण कर ऐसे 30 ग्रामीणों को चिन्हांकित किया था, जिनका बलगम एक त्रित कर बिलासपुर लैब में टेस्ट के लिए भेज दिया गया है। एक दो दिन में रिपोर्ट आ जाएगा। यदि रिपोर्ट पॉजीटिव आता है तो लगातार क्षेत्र में कैम्प लगाकर स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाएगा।

डॉ. टीके टोण्डर

नोडल अधिकारी, टीबी व सिलिकोसिस रोग

Courtesy: naidunia.jagran.com