जिले में कई सिलिकोसिस मरीज गंवा चुके हैं जान
जिले में तेजी से फैल रही सिलिकोसिस, अब जागा शासन

रायगढ़ । शमशाद अहमद
जिले में सिलिकोसिस से कई जान जाने के बाद अंततः प्रदेश सरकार जागी और पीड़ितों के लिए आर्थिक सहायता व पुनर्वास योजना को अमलीजामा पहनाया। अब सिलिकोसिस बीमारी का पता चलने व प्रमाणित होने पर प्रभावितों को शासन 3 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देगी। अब तक भवन एवं सन्निर्माण में लगे मजदूरों को सिलिकोसिस होने पर ही आर्थिक सहायता दी जाती थी, लेकिन अब कारखाना में काम करने वाले मजदूरों के लिए ये योजना लागू की गई है।

कारखानों में काम करने वाले मजदूरों को अब सिलिकोसिस होने पर सरकारी सहायता मिलेगी। अब तक सिर्फ भवन एवं सन्निर्माण कार्य में लगे मजदूरों में सिलिकोसिस होने पर आर्थिक व पुनर्वास सहायता का लाभ मिलता था। अब तक फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों को सिलिकोसिस होने पर किसी तरह की शासकीय सहायता प्राप्त नहीं होती थी। लेकिन अब राज्य शासन ने अधिसूचना जारी कर दी है। जिसके तहत फैक्ट्री में कार्य करने वाले श्रमिकों को सिलिकोसिस होती है तो उन्हें भी राज्य शासन द्वारा आर्थिक सहायता व पुनर्वास का लाभ दिया जाएगा। जिले में अब तक सिलिकोसिस से करीब 8 ग्रामीणों की मौत हो चुकी है। इन प्रभावितों को अब तक न तो चिकित्सीय सुविधा प्रदान मिलती थी और न ही आर्थिक सहायता मिलती थी। लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण निधि अधिनियम 1982 की धारा 33 क के तहत श्रम कल्याण मंडल के हितग्राही श्रमिकों के लिए योजना लागू की गई है।

3 लाख रुपए की आर्थिक सहायता

कारखानों में कार्य करने वाले श्रमिकों में सिलिकोसिस की पुष्टि होने पर राज्य शासन की ओर से 3 लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। जिसमें 1 लाख रुपए नकद व 2 लाख रुपए की एफडी दी जाएगी। एफडी के मासिक ब्याज के रूप में मासिक आय के रूप में देय होगा। मृत्यु होने पर सिलिकोसिस पीड़ित के उसके वैध उत्तराधिकारी को एफडी की राशि प्रदाय की जाएगी। पुनर्वास योजना के लिए जानकारी के अनुसार श्रम कल्याण मंडल के वह योजनाएं जो पंजीकृत श्रमिकों पर लागू होती है वही पुनर्वास के लिए पात्र होंगे।

8 सिलिकोसिस मरीजों की हो चुकी है मौत

जिले में बीते तीन सालों में सिलिकोसिस से मरने वालों की संख्या 8 के पार कर चुकी है। हालांकि यह आंकड़ा ज्यादा हो सकता है। दरअसल करीब 3 से 4 वर्ष पूर्व ही जिले में सिलिकोसिस का मामला सामने आया था। बताया जाता है कि इसके पूर्व भी जिले में सिलिकोसिस से दर्जनों ग्रामीणों की मौत हो चुकी है। लेकिन इसकी पुष्टि नहीं होने से सिलिकोसिस से मौत नहीं माना जाता है। बीते तीन सालों में हुई मौत को लेकर सिलिकोसिस प्रभावित माना जा रहा है। हालांकि औद्योगिक स्वास्थ्य विभाग में अब तक प्रभावितों की संख्या में 3-4 के बीच है, जिनमें सिलिकोसिस की पुष्टि हो चुकी है।

मृत हो चुके आश्रितों के लाभ पर संशय

शासन द्वारा जारी अध्यादेश के मुताबिक कारखाना अधिनियम 1948 एवं श्रम कल्याण निधि अधिनियम 1982 के तहत कार्यरत श्रमिकों को सिलिकोसिस की पुष्टि होने पर सक्षम चिकित्सा अधिकारी अथवा श्रम विभाग के ईएसआईसी चिकित्सालय द्वारा जारी प्रमाण पत्र के आधार पर योजना का लाभ दिया जाएगा। लेकिन मृत हो चुके सिलिकोसिस मरीज के परिजन को इस योजना का लाभ दिया जाएगा या नहीं, अब तक यह स्थिति साफ नहीं हो सकी है। दरअसल जिले में अब तक जितने भी सिलिकोसिस पीड़ितों की मौत हो चुकी है उनके आश्रित परिवार की स्थिति बेहद दयनीय है।

सामाजिक कार्यकर्ताओं की भूमिका

जिले के औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग में वर्तमान में पदस्थ वर्तमान अधिकारियों द्वारा भी सिलिकोसिस पीड़ितों को आर्थिक सहायता दिलाए जाने के लिए प्रयास किया। वहीं जिले की सामाजिक संगठन जनचेतना मंच के राजेश त्रिपाठी, सविता रथ समेत राजेश गुप्ता द्वारा सिलिकोसिस मरीजों के लिए काफी कार्य किया है। इन्हीं सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा सर्वप्रथम सिलिकोसिस से मौत का मामला उठाया था इसके बाद प्रशासन सतर्क हुआ था।

शासन से अधिसूचना जारी कर दी गई है अब सिलिकोसिस प्रभावितों को नियमानुसार शासन से मिलने वाली आर्थिक सहायता प्रदाय किए जाने की कार्रवाई की जाएगी।

मनीष श्रीवास्तव

उप संचालक, औद्योगिक एवं स्वास्थ्य सुरक्षा

शासन की यह एक बड़ी पहल है। अब इसमें यह देखना होगा कि मृत हो चुके सिलिकोसिस पीड़ितों को या उनके आश्रितों को आर्थिक सहायता मिलेगी या नहीं यह स्पष्ट नहीं है।

राजेश त्रिपाठी

सामाजिक कार्यकर्ता

Courtesy: Nai Dunia